वृंदावन की भूमि और उस पर विराजमान साधु संत सदैव पूजनीय और वंदनीय है। वर्तमान समय में सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर श्री हित प्रेमानंद जी अधिक प्रचलित हुए हैं। लोग उनके विचारों को जानने लगे हैं उनकी ख्याति देश ही नहीं विदेश में भी है तभी उनसे मिलने के लिए बड़े-बड़े नामचीन हस्तियां दरबार में उपस्थित होती है। उनके पावन उपदेशों को ग्रहण करती है। प्रस्तुत लेख में आप भी पूज्य श्री प्रेमानंद जी के वचनों का श्रवण पान करेंगे।
श्री हित प्रेमानंद जी के प्रेरणादायक विचार Premanand Ji Quotes
1
कोई व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता
तुम्हारे कर्म
उस व्यक्ति के द्वारा
दुख के रूप में प्राप्त होते हैं।
2
क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है
बजाय यह सोचने के कि
उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है?
हम यह सोचे कि
हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।
3
क्रोध से आज तक कभी किसी का मंगल नहीं हुआ है
यह आपके समस्त गुणों का नाश कर देता है
इसलिए क्रोध की संगति से दूर रहें।
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4
दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए
दुखिया का जो मुखिया सुने तो तेरी गति क्या होए।
5
बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा
आज तुम बुरा कर रहे हो
तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं
जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए
अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा
त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचाए नहीं सकेगा।
6
सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है
इससे घबराना नहीं चाहिए
यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है
जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो
वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।
7
स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो
यह जीवन जैसा भी है उनका दिया हुआ है
तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है
वह उनकी कृपा का प्रभाव है
तुम जिसका भोग कर रहे हो वह सब ईश्वर का है
ऐसे विचार के साथ कर्म करो,
जीवन यापन करो जीवन सुखमय होगा।
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8
जब व्यक्ति का ध्यान प्रभु भागवत में लग जाता है
तब वह मोह से मुक्त होकर कार्य करता है,
गोविंद की कृपा से मोह का नाश होता है
और आनंदमय जीवन की प्राप्ति होती है।
9
देह भाव ही मोह है
जो अपने शरीर की सुंदरता को देखता है
वह ईश्वर की सुंदरता से विमुख हो जाता है।
10
आपका चंचल मन बिना बात के भी
बात की रचना कर सकता है
आपके मन के भीतर विषाद भर सकता है
इसलिए अपने चंचल मन को नियंत्रित करो
अपने गुरु के सानिध्य में रहकर
अपने मन को वश करने की उक्ति को जानो।
श्री हित प्रेमानंद बाबा जी के वाक्य
1
जीवन में एक बार बहुत बड़े बदमाश प्रवृत्ति के व्यक्ति से
सामना हुआ वह सामने बैठ गया और कमर से बंदूक
निकाल कर दिखाया बाबा इसे जानते हो
हमने कहा जी यह बंदूक है इससे किसी के प्राण जा सकते हैं
उसने कमर से चाकू निकालकर दिखाया इसे जानते हो
वह मुझे धमकी दे रहा था तभी कमंडल से हाथों में गंगाजल लिया
हमने कहा तुम इसे जानते हो अभी मंत्र अभिमंत्रित करके
तुम्हारे ऊपर फेंक लूंगा तुरंत भस्म हो जाओगे
इसलिए जीवन में परिस्थितियां कैसी भी हो
घबराने की आवश्यकता नहीं अपनी शक्ति पर विश्वास करें।
2
चाहे तुम कितने भी बड़े हो, अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम भी हो जाओ
तब भी विवाह माता-पिता की सहमति से जरूर करना
क्योंकि उन्होंने तुम्हें जन्म दिया और इतना बड़ा किया
वह तुम्हारे अच्छे बुरे का अधिक ज्ञान रखते हैं।
3
नाम का जाप करते रहो
यही जब तुम्हें माया से बचाएगी
क्योंकि जहां हरि भजन होता है
वहां माया का असर नहीं होता।
4
सत्य के मार्ग पर चलने के लिए
तुम्हें किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं
तुम कहां बैठे हो कैसी संगत में हो
तुम्हारा हृदय निर्णय कर देगा
जहां सत्य होता है ईश्वर वही विराजमान होते हैं।
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समापन
भक्ति के मार्ग से जुड़ा हुआ ऐसा कौन व्यक्ति है जो श्री हित प्रेमानंद जी महाराज को नहीं जानता हो। उनके बातों को अपने जीवन में आत्मसात ना करता हो। उनकी बातें अध्यात्म तथा भागवत सत्य से जुड़ा हुआ है। व्यक्ति के जीवन को महान बनाने की नीति तथा व्यवहारिक आचरण में शुद्धता आदि से ओतप्रोत उनके वचन आज लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। यही कारण है कि उनकी ख्याति देश ही नहीं विदेश में भी फैली हुई है। दूर सूदूर देश से लोग इनके चरणों में आते हैं और इनसे जीवन के गूढ़ रहस्यों को जानकर भागवत आचरण करते हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि वह कुछ नहीं करते उनके प्रभु उनसे करवाते हैं। कर्म चाहे अच्छा हो चाहे बुरा यह सभी ईश्वर को समर्पित है।
अहम की भावना का त्याग कर वह अपने प्रभु को समर्पित हो चुके हैं। यही उपदेश वह अपने भक्तों को देते हैं। जहां अहंकार होता है वहां क्रोध तथा अन्य बुरे कर्म अवश्य ही होते हैं इसलिए वह अहंकार की भावना को सबसे पहले त्याग करने के लिए कहते हैं।
आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो अपने सुझाव तथा विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।
Saadar Naman Gurudev tumhare charno me
Saadar Naman Guru Ji
Saadar Naman Gurudev aapka margdarshan jeevan me kafi madadgar hai
Param pujya mahrajji ke sahitya magana hai kya prosses hai please batayen