We have written here Guru Gobind Singh Quotes, wishes, Suvichar, status, famous lines in Hindi with images.
सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने धर्म समाज की रक्षा के लिए आजीवन प्रयत्न किया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना विशेषकर धर्म रक्षा के लिए ही की थी। यह जितने कुशल वीर योद्धा थे, उतने ही यह आस्था और भक्ति से जुड़े हुए थे। इन्होंने दोनों क्षेत्र में अद्वितीय प्रयास किया और अपने धर्म समाज की भलाई का मार्ग दिखाया। गुरु जी ने नर सेवा में ही नारायण का रूप देखा, अपने गुरु, ईश्वर का रूप देखा।
निम्नलिखित कोट्स, सुविचार को पढ़कर आप उनकी गुरु कृपा के भागीदार बन सकते हैं।
Best Guru Gobind Singh Quotes in Hindi
1
सवा लाख से एक लड़ाऊं
चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं
तवे गुरु गोविंद सिंह नाम कहाउँ। ।
गुरु गोविंद सिंह अपने धर्म की रक्षा के लिए आतताइयों के विनाश हेतु सदैव तत्पर रहे हैं। उन्होंने विधर्मीयों का नाश करने के लिए एक सच्चा गुरु भक्त की सेना तैयार की थी जिसका एक वीर ही सवा लाख की सेना का नाश करने के लिए काफी था।
2
जो वीर सच्चे निष्ठा से, धर्म के लिए लड़ते हैं
वही रणभूमि में विजय श्री को पाते हैं।
3
एक सुंदर जीवन के लिए
आहार और व्यायाम ही काफी नहीं
बल्कि गरीब, बेसहारा लोगों की सेवा में
सुंदर जीवन का रहस्य छिपा है।
4
जिसे गुरु कृपा प्राप्त हो जाती है
वह सभी भय से मुक्त हो जाता है
चाहे वह भय लौकिक हो या पारलौकिक।
5
दया, प्रेम, धैर्य,
आनंद और सुख को बढ़ाते हैं
ऐसे ही व्यक्ति पर गुरु अपना
आशीर्वाद बरसाता है
जो गुरुवाणी के अनुरूप कार्य करता है।
6
रब ही जीवन है, रब ही चहुँ और है
रब लौकिक है, रब ही पारलौकिक।
7
अपनी आत्मा और अपने गुरु से
तारतम्यता स्थापित करना चाहते हो
तो संयम और विनय धर्म का पालन करो
गुरु कृपा अवश्य मिलेगी।
8
अपनी आजीविका ईमानदारी पूर्वक
कार्य करते हुए चलाएं
यही गुरु के प्रति सच्ची निष्ठा है।
9
किसी परदेसी, दुखी, अपंग मनुष्य को देखकर
यथाशक्ति उसकी सेवा करें
जरूरतमंद की सेवा से ईश्वर की सेवा संभव है।
10
खुद को तथा अपने धर्म को सुरक्षित रखने के लिए
सदैव शरीर से मजबूत रहें
हथियार चलाना घुड़सवारी करना सीखें
यह व्यायाम का एक भाग बनाएं।
गुरु गोविंद सिंह की वाणी – Guru Gobind Singh Quotes on Guru seva
1
गुरु की सच्ची सेवा करने से
जो स्थाई शांति प्राप्त होगी
उससे जन्म और मृत्यु का
कष्ट मिट जाएगा।
2
अपने गुरु का प्रेम पाने के लिए
अपने गुरु के द्वारा कहे हुए
शब्दों का अनुसरण करो
तुम्हारा गुरु ही तुम्हें
मोक्ष का मार्ग दिखाएगा।
3
ईश्वर ने हमें मनुष्य जन्म इसलिए दिया
ताकि हम इस जगत में अच्छे कर्म कर सकें
और बुराइयां नू दूर भगा सके।
4
मनुष्य से प्रेम ही ईश्वर की परम भक्ति है।
5
मनुष्य अनंत जीवन का एक भाग है
इस जीवन का कोई अंत नहीं
इसे अपने कर्मों से सुंदर बनाए।
गुरु गोविंद सिंह जी के शब्द
1
जो गरीब असहाय को दुख देता है
ईश्वर उसे स्वयं भी दुख देता है।
2
अपना गुरु निर्धन, असहाय की
सेवा के लिए समर्पित है
अपने गुरु के कार्य को
आगे बढ़ाना ही हमारा धर्म है।
3
जिसे अपने गुरु के ज्ञान पर विश्वास नहीं,
वह हमेशा दुख नहीं पाता है।
4
बुढ़ापे का डर शरीर और मन की
अवस्था को खराब कर देता है
इस डर को असहाय की
सेवा से दूर कर सकते हैं।
5
असहाय को दिया गया दुख
विधाता को दिए गए दुख के समान है।
6
एक खालसा शरीर से
बूढ़ा तो हो सकता है
पर मन से नहीं।
7
एक सच्चा व्यक्ति ही
आस्था और भुजबल से
संतुलित समाज का
निर्माण कर सकता है।
8
अपने धर्म पर पूर्ण विश्वास रखो
यह धर्म तुम्हारी सदैव रक्षा करेगा।
9
किसी भी प्रकार का नशा करना छोड़ दें
यह विधर्मी बनाने का प्रथम चरण है।
10
किसी के प्रति ईर्ष्या भाव रखना
उसकी बुराई करना धर्म विरुद्ध कार्य है
जिसे त्याग कर देना चाहिए।
गुरु गोविंद सिंह जी का संक्षिप्त परिचय
नाम | गुरु गोविंद सिंह जी |
पिता का नाम | गुरु तेग बहादुर |
माता का नाम | गुजरी |
पत्नी | माता जीतो, माता सुंदरी, माता साहिब देवां |
जन्म | 22 दिसंबर 1666 पटना बिहार |
संस्थापक | खालसा पंथ |
पदवी | सिखों के दसवें गुरु |
संबंधित अन्य लेख भी पढ़ सकते हैं
Swami Vivekananda Hindi quotes
Best hindi suvichar and anmol vachan
Subhashita Sanskrit quotes with Hindi meaning
Shayari collection for WhatsApp status
Friendship and Dosti Quotes in Hindi
21 Motivational hindi quotes, suvichar, shayari
समापन
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पटना बिहार में हुआ था आज वहां पर एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा भी है जहां उनकी झलक देखी जा सकती है। गुरुजी ने आजीवन समाज कल्याण के लिए कार्य किया वह सिख समुदाय के दसवें गुरु बने उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की इस नाते उन्होंने इस धर्म विशेष सेना का प्रथम सेनापति होना स्वीकार किया इनका परम उद्देश्य अपने धर्म की रक्षा पवित्र गुरु ग्रंथ की रक्षा करना था जो विदेशी आक्रमणकारियों की निरंतर भेंट चढ़ती जा रही थी ऐसे आक्रांता ओं से अपने समाज को भय मुक्त करना और आध्यात्मिक रूप से समाज को प्रबल बनाना गुरुजी ने कार्य किया।
उपरोक्त लेख के माध्यम से आपने उनके व्यक्तित्व तथा उनसे जुड़े अनुभव को ग्रहण किया होगा उनके विचारों को समझा होगा अपने सुझाव या अपनी बात कमेंट बॉक्स में लिखें।