Pranab Mukherjee Quotes in Hindi – प्रणब मुखर्जी के सुविचार

By | August 17, 2020

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निर्भीक वरिष्ठ राजनेता भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने आदर्शों और विचारों के लिए देश के बीच प्रसिद्ध हैं। वह पार्टी विचारधारा से ऊपर उठकर कार्य करने वाले नेता है।

इस लेख में प्रणब मुखर्जी के सुविचार और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग संबंधी अनमोल वचन का संकलन यहां प्राप्त कर सकेंगे।

कितने ही अवसर पर देखने में आया है प्रणब मुखर्जी एक जिंदादिल व्यक्ति है। वह सदैव देश के लिए कार्य करने के लिए संकल्पबद्ध है। वह पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठकर कार्य करने वाले व्यक्ति की पंक्ति में अग्रणी है। वह कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में नजर आते तो कभी बी.जे.पी के शीर्ष नेताओं की तारीफ करते। वह अच्छे को अच्छा बोलने से कभी पीछे नहीं हटते है।  यही कारण है वह देश में सम्मान पाने वाले राजनेता में अग्रणी है।

प्रणब मुखर्जी आरंभिक समय से राष्ट्रीय कांग्रेस दल से जुड़े रहे। इस दल में रहते हुए उन्होंने राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद को भी प्राप्त किया। इस पद पर स्थापित होने से उनकी प्रतिभा और उनके विचारों का आकलन किया जा सकता है।

प्रणब मुखर्जी के सुविचार – Pranab Mukherjee Quotes in Hindi

Pranab Mukherjee Quotes in Hindi

Pranab Mukherjee Quotes in Hindi

1

व्यक्ति अपने जीवन का स्वयं मालिक होता है

उसे जीवन को स्वयं की इच्छा अनुसार जीना चाहिए। ।

(प्रणब मुखर्जी अपने जीवन को अपने अनुसार जीना पसंद करते थे , जिसके कारण वह सदैव सत्य मार्ग पर चल सके)

 

2

संगठन में शक्ति है , एक संगठित समाज ही

राष्ट्र को परिवर्तन के मार्ग पर ली जा सकती है। ।

 

3

सब कुछ जानते समझते हुए भी

मैं अपनी निष्ठा के साथ कार्य कर रहा हूं

मेरी निष्ठा ही मुझे एक पार्टी से बांधे हुए है। ।

 

4

जीवन में सफल बनाने के लिए

आत्मसम्मान को बेचने की आवश्यकता नहीं। ।

 

5

राष्ट्र के लिए केवल राजनीतिक पार्टियां ही

कार्य नहीं करती बल्कि कितनी ही

सामाजिक संगठन नींव का कार्य कर रही है

ऐसे संगठन ही राष्ट्र की उन्नति में

अहम योगदान निभाते हैं। ।

 

6

दोस्ती और दुश्मनी का अपना स्थान होता है

दोनों अपने समय से निभाया जाना चाहिए। ।

 

7

देश को सदैव सशक्त नेतृत्व की जरूरत थी

कुछ समय से देश को मजबूत नेतृत्व मिला है। ।

 

 

8

समर्पण पार्टी के प्रति हो सकती है ,

किसी व्यक्ति के प्रति नहीं। ।

 

9

समस्या कितनी भी बड़ी क्यों ना हो

समाधान हिंसा नहीं हो सकता। ।

(यह गांधीवादी विचारों को मानने वाले थे वह सदैव अहिंसा की राह पर चलना चाहते हैं)

 

10

भूख और गरीबी से बढ़कर

कोई अपमान नहीं हो सकता। ।

 

(मनुष्य जीवन में गरीबी और भुखमरी अभिशाप के रूप में होती है )

 

11

किसी भी प्रकार के दबाव में रहकर

मैं कार्य नहीं कर सकता

मैं आजाद सोच वाला हूं और

आजाद रहकर ही कार्य करना चाहता हूं। ।

 

12

राष्ट्रहित में कार्य करने के लिए

पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठना पड़ेगा

फिर राष्ट्र पूरे विश्व में एक मिसाल पेश करेगा

लोग फिर आपको सम्मान देंगे और आप का अनुकरण करेंगे। ।

 

13

जीवन में कभी-कभी

समझौता करना भी

लाभदायक होता है। ।

 

14

आधुनिक राष्ट्र के निर्माण में

प्रत्येक नागरिक का सहयोग अपेक्षित है

एक सशक्त लोकतंत्र तभी

मजबूत हो सकता है

जब लोगों के इरादा मजबूत हो। ।

 

15

राष्ट्र को विकसित बनाने के लिए

प्रत्येक व्यक्ति तक अन्न की आपूर्ति होनी चाहिए। ।

 

16

मैं अपने भाग्य और मिली हुई खुशियों से सदैव संतुष्ट रहता हूं 

लोगों की आलोचना के बजाय मैं अपने कार्य में व्यस्त रहता हूं। ।

 

17

मुझे विरासत में संस्कारों के सिवा

कुछ प्राप्त नहीं हुआ

मैं अपने पीछे विरासत छोड़कर नहीं जाऊंगा

जो भी है राष्ट्र का है राष्ट्र के लिए ही है। ।

 

 

18

व्यक्ति का आचरण ऐसा होना चाहिए कि

बुरे समय में दुश्मन भी हाथ थामने को आतुर हो। ।

 

19

वास्तव में देश की अर्थव्यवस्था का स्तर

कुछ अलग होना चाहिए था ,

दागदार छवि और अकुशल नेतृत्व ने

मार्ग में बाधा उत्पन्न ने किया। ।

 

20

राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए

गरीब से गरीब व्यक्ति को

सशक्त होना पड़ेगा और

सुनिश्चित करना होगा

वह राष्ट्र को

उन्नति का मार्ग दिखाए। ।

 

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प्रणब मुखर्जी बंगाली समाज से संबंध रखते हैं

वह अपने विचारों और आदर्शों के प्रति सदैव समर्पित रहते हैं। कितनी भी विकट परिस्थितियां या दबाव उनके सामने आया फिर भी उन्होंने अपने विचारों और आदर्शों से विमुख नहीं हुए। जिसके कारण उन्हें स्वयं की पार्टी से आलोचना का सामना भी करना पड़ा।

उनकी छवि विरोधी पार्टियों में भी उतनी ही सम्माननीय है , जितनी अपने पार्टी के भीतर। राष्ट्रपति पद पर सुशोभित होने से स्पष्ट होता है कि वह देश की राजनीति में विशिष्ट स्थान रखते थे। सभी पार्टियों के मत का ही परिणाम था कि वह राष्ट्रपति के पद पर आसीन हो सके। उन्होंने आरंभिक जीवन से समाज और देश के लिए कार्य करने की संकल्पना धारण की थी। जिसे राष्ट्रपति पद पर रहते हुए तथा उसके बाद भी वह निर्बाध रूप से करते रहे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्य कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने राजनीतिक पंडितों को छोटा बना दिया। किसी ने यह अनुमान नहीं किया था प्रणब मुखर्जी अपने पार्टी के प्रमुख विपक्षी और उनके संगठनों के कार्यक्रम में इस प्रकार शामिल होंगे। इस पर प्रणब मुखर्जी का स्पष्ट कहना था वह अपने जीवन को अपने अनुसार जीते हैं। सामाजिक कार्य में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सम्मिलित होना किसी भी व्यक्ति के लिए गौरव की बात है। मुझे यह अवसर प्राप्त हुआ यह मेरे लिए सम्मान की बात है।

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