Best Pushpendra kulshrestha Quotes in Hindi full of motivation and inspiration.
प्रस्तुत लेख में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के सुंदर विचारों को समाहित कर रहे हैं। यह विचार उनके जीवन का संक्षिप्त परिचय देने में भी सक्षम है। आप इन विचारों से पुष्पेंद्र जी को बेहद ही करीब से जान सकेंगे।
वह किस प्रकार समाज के लिए दिन-रात अथक प्रयास कर रहे हैं। पुष्पेंद्र जी के सुविचारों का संकलन पढ़ने के बाद , आप उनके जीवन के घटनाक्रमों को भी समझ सकेंगे।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के सुविचार हिंदी में – Pushpendra kulshrestha Quotes
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ किसी परिचय के मोहताज नहीं है , वह समाज के उत्थान के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। समाज के प्रति उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। किस प्रकार उन्होंने समाज में हो रही धर्म की हानि तथा , नैतिक मूल्यों का ह्रास तथा धर्म विशेष की उपेक्षा को उजागर करते हुए सरकार के नीति और मंसा पर प्रश्न चिन्ह लगाया है।
वास्तविकता भी यही है किस प्रकार एक वर्ग को वोट बैंक की खातिर राजकीय सम्मान और सुविधाएं प्राप्त हो रही है। वही दूसरे वर्ग को नजरअंदाज किया जा रहा है, उसकी उपेक्षा की जा रही है। यहां तक की उसके नैतिक मूल्य को भी दबाया जा रहा है।
यहां पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जैसा प्रखर वक्ता बिना संकोच के उठ खड़ा होता है और इस अन्याय के प्रति अपने आवाज को बुलंद करता है।
1
जो अपने धर्म संस्कृति और अस्तित्व पर
विश्वास नहीं रखता
उसका कभी मंगल नहीं हो सकता। ।
जिस व्यक्ति को अपने धर्म और संस्कृति पर अविश्वास रहता है , अपने अस्तित्व पर विश्वास नहीं रखता। वह व्यक्ति कभी भी समाज में अपना भला नहीं कर सकता।
2
उन लोगों से सदैव सावधान रहने की आवश्यकता है
जो स्वयं का महिमामंडन कर
दूसरों को नीचा दिखाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। ।
समाज में एक वर्ग , सदैव स्वयं का महिमामंडन कर दूसरों को नीचा दिखाने के लिए प्रयत्नशील रहता है। ऐसे वर्गों से सदैव सावधान रहते हुए उनको वास्तविकता का आईना दिखाने की आवश्यकता है।
3
उठो कब तक सोते रहोगे
कब तक बेपरवाह रहोगे
जब हाथों से सब कुछ फिसल जाएगा
फिर हाथ मल कर क्या पाओगे
उठो कब तक सोते रहोगे। ।
हमारी बेपरवाही तथा कुछ ना करने की प्रवृत्ति ने असामाजिक तत्वों को स्वयं पर हावी होने का अवसर दिया है। इस प्रकार मुक दर्शक और सोने का ढोंग रचा कर कुछ हासिल नहीं होगा। आवश्यकता है प्रतिक्रिया देने का स्वयं के ऊपर अन्याय होने न देने का।
4
सोने का दिखावा करके शत्रुओं को मौका मत दो ,
शत्रु जो बढ़कर आगे आए उससे पहले मात दो। ।
निष्क्रिय भाव से किसी शत्रु को अवसर प्रदान ना करें बल्कि कोई शत्रु तुम्हारी और आंख उठाए। उससे पहले उसके चाल को विफल कर दो यही समय की मांग है।
5
जो अभी इसी भ्रम में बैठे हैं
कि मिटाए नहीं मिटेगी अपनी बस्ती
आंख खोलकर ध्यान से देखो
इंडोनेशिया , नेपाल , ईरान ,
अफगानिस्तान तक फैली थी तुम्हारी बस्ती। ।
कुछ अपने ही समाज के लोग जब बेफिक्र और कायरता पूर्ण बातें करते हैं। उन्हें आंख खोलकर देखने की आवश्यकता है। उनकी संस्कृति कहां तक फैली हुई थी। जो भारत कभी अखंड भारत के नाम से जाना जाता था , आज उसका दायरा सिमटता जा रहा है। यह सब हमारी कायर प्रवृत्ति का प्रदर्शन है।
6
हम निरंतर षड्यंत्र के शिकार होते जा रहे हैं ,
अपना आदर्श , संस्कृति , अस्तित्व खोते जा रहे हैं। ।
जो कभी अपनी संस्कृति और अस्तित्व के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध था। आज वह वर्ग निरंतर दिन-प्रतिदिन षड्यंत्र का शिकार होता जा रहा है। उसका आदर्श , संस्कृति , अस्तित्व सब कुछ धीरे-धीरे नष्ट होता जा रहा है। यह सब एक षड्यंत्र है जिसको बारीकी से पहचानने की आवश्यकता है।
7
नन्हे-नन्हे बच्चों के पाठ्यक्रम में
आक्रांताओं को जो महान बनाते
उनसे प्रश्न अवश्य करो
क्यों हिन्द के वीरों को भूल जाते। ।
भारत जैसे राष्ट्र में छोटे-छोटे बच्चों के पाठ्यक्रम में उन आक्रांताओं का महिमामंडन किया जा रहा है। जिसने भारत को दोनों हाथों से लूटा और यहां की मां बहनों के साथ अनैतिक व्यवहार किया। यह कौन लोग हैं जिन्होंने इन आक्रांताओं को नन्हे बच्चों को पढ़ने के लिए दिया है। इसे पहचान करने और उनको बेनकाब करने की आवश्यकता है।
8
ऐसे मक्कारों से सावधान रहो
जो भाईचारे का ढोंग रचाते
जहां मौका दिख जाता है
वहां यही है , नौंच खाते। ।
समाज में ऐसे लोग ऐसा वर्ग है जो मौकापरस्त तथा मक्कारी से युक्त है , ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए। यह भाईचारा का ढोंग रचा कर आपके करीब आते हैं तथा मौका देखने पर यही भाईचारा भूल कर आप को चारा बना लेते हैं।
9
भाईचारा तो बहाना है
असली मकसद
गजवा हिंद लाना है। ।
विदेश की बड़ी शक्तियां देश को तोड़ने में दिन-रात कार्य कर रही है। यह भाईचारा का ढोंग रचा कर गजवा हिंद को स्थापित करने का स्वप्न देखती है। भाईचारा उन्हीं से करने की आवश्यकता है जिनसे आपका हृदय और विचार मिलता हो।
10
जो खाए गाय का गोश्त ,
वह ना होय हिंदू का दोस्त। ।
गाय को हिंदू संस्कृति में माता का दर्जा दिया जाता है। माता का प्रेम अपने पुत्र से किस प्रकार का होता है , यह हिंदू संस्कृति से उदाहरण लिया जा सकता है। जो व्यक्ति मां की हत्या करके उसका मांस खाता हो , वह कभी भी हिंदू का दोस्त नहीं हो सकता। अगर दोस्ती है भी तो यह दिखावे के अलावा कुछ नहीं है।
11
जो आज सत्ता का सुख भोगने में खो गए हैं
उन्हें याद रखना चाहिए हमने उन्हें
कुछ विशेष कार्यों के लिए चुना है। ।
जो सत्ता पाकर मद में खो गए हैं , उन्हें सदैव याद रखना चाहिए अपने कार्यों के लिए जनता उन्हें चुनती है। जनता के कार्यों में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
12
अपने चुने गए जनप्रतिनिधियों को
सदैव एहसास दिलाते रहे
उनको कार्य करने के लिए चुना है
इमारतें खड़ी करने के लिए नहीं। ।
जनप्रतिनिधियों को सदैव याद दिलाते रहे उन्हें किस कार्य के लिए चुना गया है। अन्यथा वह अपने सुख सुविधा में व्यस्त रहने लगते हैं। आपके उद्देश्यों को भुलाकर वह अपने लिए धन एकत्रित करने लगते हैं।
13
जो जनता के द्वारा चुना जाता है
जनता का कार्य नहीं करता
उसे तत्काल कुर्सी से उतार फेंकना चाहिए। ।
जो नेता जनता के द्वारा चुना जाता है और वह जनता के ही कार्यों की अनदेखी करता है। जनता के हितों की अवहेलना करता है उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं। ऐसे जनप्रतिनिधियों को तत्काल सत्ता सुख से वंचित किया जाना चाहिए।
14
आवश्यकता है अपने मुद्दों को
बार-बार अपने प्रतिनिधियों
के समक्ष उठाते रहने का
अन्यथा वह सदैव भूलने का स्वांग करते रहेंगे। ।
वर्तमान समय की आवश्यकता है अपने जनप्रतिनिधियों के समक्ष अपने मुद्दे को उठाते रहने का। अन्यथा वह सदैव से भूलने का स्वांग करते रहे हैं और करते रहेंगे।
15
भारत का संविधान सर्वोपरि है
इसे सर्वमान्य भी होना चाहिए। ।
भारत का संविधान सभी लोगों के लिए एक समान होना चाहिए , क्योंकि भारत का संविधान सर्वोपरि है। इसे किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं होना चाहिए या किसी को इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए। जो वर्ग संविधान के मूल्यों को नहीं मानता , उसे भारतीय नागरिक कहलाने का अधिकार भी नहीं होना चाहिए।
16
जो राष्ट्रीय संसाधनों पर
अपना पहला अधिकार समझते हैं
उन्हें राष्ट्र के संविधान में
अपनी आस्था रखनी ही होगी। ।
जो वर्ग या समुदाय राष्ट्रीय संसाधनों पर अपना स्वामित्व समझता है , अपना अधिकार समझता है। उसे राष्ट्र के संविधान , नियम-कानून और व्यवस्था को भी मानना होगा , उसमें अपनी आस्था भी व्यक्त करनी होगी। ऐसा नहीं कि अपने लिए अलग संविधान और नियम कानून बनाए।
17
देश का कानून देश के लिए है
किसी एक वर्ग के लिए नहीं। ।
किसी भी देश का कानून देश के लिए होता है उसमें रहने वाले समस्त देशवासी पर कानून एक प्रकार से लागू होता है। जो वर्ग , समुदाय या विशेष लोग उस कानून या व्यवस्था में अपना विश्वास नहीं रखते या अपने लिए अलग कानून की व्यवस्था करते हैं। ऐसे वर्ग या समुदाय को देश के सभी सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए।
18
जनसंख्या कानून को लागू करना
वर्तमान समय की मांग है
इसको पूरा करना
राजनेताओं का दायित्व। ।
किसी भी देश के लिए अधिक जनसंख्या एक चुनौती होता है। उसके लिए सभी सुविधाओं का प्रबंध किया जाना बेहद ही संघर्षपूर्ण माना जाता है। ऐसे समय में जब विश्व बढ़ती जनसंख्या से त्रस्त है। इस पर कड़े नियम बनाना जनप्रतिनिधियों का कार्य है। लेकिन वह वोट बैंक की राजनीति में व्यस्त रहते हैं।
19
अपनी आस्था के लिए
दूसरों की आस्था का
हनन नहीं होना चाहिए। ।
सभी आस्था का समान महत्व है सभी अपने स्थान पर उचित है यह सभी को स्वीकार करना चाहिए। लेकिन जब अपनी आस्था को ऊंचा दिखाने के लिए दूसरे की आस्था पर चोट किया जाए , उसे छोटा बनाने की कोशिश किया जाए। वहां शासन-प्रशासन और व्यक्ति को प्रखर रूप से विरोध करना चाहिए।
20
अधिकार उसी को मिलना चाहिए जो अधिकारी हो। ।
किसी भी देश में अधिकार उस व्यक्ति को मिलने चाहिए जो , वास्तविक रूप से उस अधिकार का अधिकारी हो। यानी कि जो देश की व्यवस्था और संविधान में आस्था रखता हो , उसके अनुरूप आचरण करता हो देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण हो।
21
भारत में रहते हुए , संसाधनों पर अधिकार जताते हुए
जो वर्ग व्यक्ति विशेष वाली आजादी मांगता है
उसे उस व्यक्ति के पास भेज देना ही उचित है। ।
पुष्पेंद्र जी का मानना है कि जो व्यक्ति भारत में रहते हुए उसके संसाधनों पर अपना प्रथम अधिकार जताता है। वह व्यक्ति किसी देशद्रोही वाली आजादी की बात करता है , तो पहले उस देशद्रोही के पास भेजा जाना चाहिए। फिर उस प्रकार की आजादी का प्रबंध किया जाना चाहिए। देशद्रोहियों के साथ जो संविधान में प्रावधान है उसके अनुरूप।
22
धूर्त लोग बार-बार तुम्हें पीन चुभाकर
तुम्हारी सहनशक्ति को
आंकने की कोशिश करते हैं। ।
छल से युक्त व्यक्ति आपके क्षमता का आकलन आपके प्रतिक्रिया से लगाता रहता है। आपकी प्रतिक्रिया आपके क्रोध और आपके सुस्त रवैया से प्रकट होता है। ऐसे लोग कभी आपकी आस्था , आपकी निजता , आपकी मान्यताओं पर प्रहार करते हैं और आपके प्रतिक्रिया का इंतजार भी।
23
हम दो हमारे दो तो चलेगा किंतु
हम दो हमारे गिन लो नहीं चलेगा। ।
24
चूहों की भांति बच्चे पैदा करना
किसी भी देश के संसाधनों का दोहन है। ।
25
जिस महापुरुष का राष्ट्र है
उसी का साक्ष्य देने के लिए
अदालतों के चक्कर लगाते हो
शर्म करो कुछ तो अब क्या भ्रम पालते हो। ।
26
शनै शनै अपने ही तुम संस्कृति को भूलते हो
मिट जाता है अस्तित्व तुम्हारा फिर हाथ मलते हो। ।
27
भ्रम मत पालना अपने मन में
अकेले कुछ कर पाओगे
समाज रहा साथ तुम्हारे
तो जगजीत जाओगे। ।
28
देकर शिक्षा का दान बेटी को
इतना मजबूत बना देना
आए जो नीच भेष बदलकर
गर्दन धड़ से उड़ा देना। ।
29
बहू बेटियों की इज्जत पर जिसने रूप बदलकर वार किया
समय है सतर्क रहने का विधर्मीयों ने है षड्यंत्र किया। ।
30
आज अनेकों बेटियां लव जिहाद की भेंट चढ़ी
बची है वही बेटियां जिन्होंने शिक्षा की पाठ पढ़ी। ।
31
घर के यू संस्कारों को सरेआम ना करो
बैठो बुजुर्गों के चरण में
पुण्य कर्म का लाभ करो। ।
32
अपने ही वतन में तुम अपनी शिक्षा ना दे सके
बच्चे भी क्या कर सकते संस्कृति को ना जान सके। ।
33
जब मैं कहता हूं हिंदुस्तान तो कहने का यह तात्पर्य होगा
आर्यव्रत की सीमा में हिंदुओं का ही साम्राज्य होगा। ।
34
जिन आक्रांताओं को कुछ लोग महान बताते हैं
आंख खोल इतिहास पढ़ लो ,
तुम्हारे ही पूर्वजों को
बीच चौराहे इन लोगों ने सरेआम काटे थे। ।
35
आई एस आई से पैसा लेकर , अपना एजेंडा चलाने वाले
कुछ खास वर्ग के है यह लोग , ना समझे यह दुनिया वाले। ।
36
गंगा जमुना तहजीब का दिया करते हवाला है
भाईचारे का स्वांग रचा कर भोंक देते भाला है। ।
37
मंदिर का पैसा सरकारी बन जाता है
मस्जिद चर्च का पैसा बताओ कहां जाता है। ।
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