स्वामी विवेकानंद की कहानियां ( Swami vivekananda stories )

By | February 3, 2022

युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की कहानियां ( Swami vivekananda stories in Hindi ) इस लेख में आप पढ़ेंगे और उनके उच्च आदर्शों से आत्मसात कर सकेंगे उनके द्वारा बताए हुए मार्ग को अपने जीवन में अपनाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

युवा वर्ग के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद जी तेजस्वी तथा कुशाग्र बुद्धि के थे, उनकी बुद्धि तथा स्मरण शक्ति अद्वितीय थी। उनकी इस शक्ति को भारतीय युवा ही नहीं विदेश में भी सराहा गया तथा उन्हें अपना आदर्श माना गया। उन्होंने जीवन पर्यंत समाज का उद्धार लोगों के बीच राष्ट्र के लिए युवाओं को जागरूक करने उन्हें सशक्त बनाने के लिए संघर्ष किया।

स्वामी विवेकानंद की कहानियां – Best Swami Vivekananda stories

1. गुरु के कार्य में मां की परीक्षा

अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद स्वामी विवेकानंद भीतर से टूट चुके थे। उन्हें अपने गुरु के द्वारा प्राप्त शिक्षा को आगे विस्तार देना था। गुरु के कार्य को आगे बढ़ाना था इसके कारण वह अमेरिका जाना चाहते थे। इस यात्रा की अनुमति के लिए वो जब वह माता के पास गए तब माता ने चतुराई से अपने पुत्र की परीक्षा कुछ इस प्रकार ली –

सब्जी काटते हुए माने जब विवेकानंद से चाकू लाकर देने को कहा, तब विवेकानंद उस चाकू को सावधानी से उठाकर लाते हैं और मां को चाकू की डंडी पकड़ाते हैं। चाकू का दूसरा सिरा अपनी और रखते हैं, इस पर उनकी मां अपने पुत्र की सहजता उसके सहृदय भाव को समझ जाती हैं। आशीर्वाद स्वरुप अपने अपने पुत्र को अमेरिका जाकर अपने गुरु के कार्य को बढ़ाने की अनुमति देती है।

स्वामी विवेकानंद के पूछने पर वह बताती हैं तुमने जिस प्रकार मुझे चाकू दिया उसमें तुम्हारा कोमल हृदय का भाव दिखता है। तुम चाहते तो चाकू का सिरा मेरी और भी रख सकते थे, जिससे नुकसान हो सकता था। किंतु तुमने इसके विपरीत कार्य किया। तुमने बड़ी ही सावधानी से चाकू को मुझे दिया अर्थात तुम किसी का अहित नहीं कर सकते। तुम सब के प्रति दया और सद्भाव का भाव रखते हो।

जाओ तुम्हारे गुरु के कार्य को ईश्वर सफल बनाएं।

Moral of the story

1. Be kind to everyone and before doing any work know about its consequences.

2. Be aware all the time. Because of awareness, Swami Vivekananda was able to pass the test.

2. विवेकानंद जी का आत्मसम्मान ( Swami vivekananda stories )

स्वामी विवेकानंद जी का परिवार कोलकाता के मशहूर परिवार में से एक था। पिता प्रसिद्ध वकील थे, घर में ऐश्वर्य और वैभव की बरसात हुआ करती थी। इनके पिता लेखन कार्य भी किया करते थे।

यह परिवार संयुक्त होने के साथ-साथ धनवान भी था।

पिता की मृत्यु के बाद इस परिवार को न जाने किसकी नजर लगी धीरे-धीरे परिवार टूट कर बिखर गया। धन, वैभव घर से गायब हो गया, आपसी वैमनस्य के कारण अदालतों के चक्कर लगने लगे। घर में छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए भी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई। परिवार में बिखराव के कारण स्थिति दयनीय हो रही थी। स्वामी विवेकानंद छोटी-मोटी नौकरी के लिए भी संघर्ष कर रहे थे, किंतु कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही थी।

इन्हीं दौरान उन्हें अनेकों शादी के रिश्ते भी आने लगे किंतु परिवार की स्थिति के कारण वह सभी रिश्ते को नकार रहे थे। एक स्थिति ऐसी आई जब एक धनवान महिला ने शादी का प्रस्ताव विवेकानंद को दिया। स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह स्वयं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाते। उन्होंने धनवान महिला के प्रस्ताव को दहेज से जोड़ कर देखा और उन्होंने यह शादी का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। इसमें उनकी मां की भी सहमति थी। आत्मसम्मान को धन से बढ़कर माना स्वयं संघर्ष कर अपना और अपने परिवार का जीवन चलाना उन्होंने दान में मिले हुए धन से बढ़कर माना।

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3. स्वामी जी की साधना

( Swami vivekananda stories with moral values )

धर्म के प्रचार के लिए, तथा राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की भागीदारी के लिए स्वामी जी देश विदेश भ्रमण कर रहे थे। भारतीय संस्कृति का प्रचार- प्रसार कर रहे थे। एक समय की बात है जब वह विदेश यात्रा पर गए हुए थे वहां उन्होंने नदी किनारे कुछ युवाओं को देखा। वह नदी की धारा पर बैठे हुए अंडे के छिलकों पर बंदूक की गोलियों से निशाना लगा रहे थे।

ऐसा करते हुए वह हंसी मजाक भी कर रहे थे।

उनका कोई निशाना उस अंडे के छिलके पर ना लग सका।

स्वामी जी काफी देर देखते रहे तत्पश्चात उन युवाओं के पास जाकर उनके बंदूक से, बहती हुई धारा पर अंडे के छिलके को निशाना बनाते हुए एकाएक दस-बारह सटीक निशाना लगाया।

इस हैरतअंगेज कारनामे को देखकर सभी युवा आश्चर्यचकित रह गए।

स्वामी जी से युवाओं ने पूछा! आपका सटीक निशाना बिना चुके कैसे लगा? कृपया हमारा मार्गदर्शन कीजिए। इस प्रश्न पर स्वामी जी बोले, किसी भी कार्य को करने के लिए धैर्य, साहस, एकाग्र बुद्धि तथा पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है और इसकी कमी के कारण तुम्हारा सभी निशाना चूक रहा था।

तुम्हें किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं पर नियंत्रण होना काफी अहम होता है।

स्वामी जी के वाक्यों से विदेशी युवा काफी प्रभावित हुए, उन्होंने भारतीय संस्कृति को बारीकी से जानने के लिए स्वामी जी का शिष्य बनना स्वीकार किया। स्वामी जी ने उन युवाओं का मार्गदर्शन कर उन्हें जीवन का वास्तविक मार्ग दिखाया।

निष्कर्ष

स्वामी विवेकानंद को पावर हाउस भी कहा जाता है उनमें बौद्धिक स्तर की जो भंडारण थी वह अद्वितीय थी। यही कारण है कि उनके निर्णय और विवेक से आज की युवा पीढ़ी प्रेरणा लेती है उन्हें अपना आदर्श मानती है। उनके बताए हुए मूल्यों को अपने जीवन में अपनाना चाहती है। उनके अनेकों ऐसे प्रसंग है जिसमें उनकी विद्वता का परिचय मिलता है, चाहे वह देश की घटना हो या विदेश से जुड़ी घटना।

उनके प्रशंसक देश विदेश में है जो उन्हें अपना आदर्श मानकर सम्मान भी करते हैं।

बेहद ही कम आयु में विवेकानंद जी ने समाज तथा अपने राष्ट्र के लिए अभूतपूर्व कार्य किया राष्ट्र की उन्नति में युवा की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया।

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