प्रस्तुत लेख में सुभाष चंद्र बोस जी के अनमोल वचन तथा स्लोगन ( Subhash Chandra Bose Quotes and slogans in Hindi with images ) को लिख रहे हैं। यह उनके जीवन से संबंधित है।सुभाष चंद्र बोस दूर दृष्टा थे ,उनके निर्णय लेने की क्षमता अद्वितीय थी।इस लेख के माध्यम से हम नेता जी को थोड़ा बहुत जानने का प्रयत्न करेंगे।
सुभाष चंद्र बोस के अनमोल वचन एवं सुविचार
1
किसी भी बड़ी शक्ति से टकराने से पूर्व
पूरी रणनीति और अभ्यास की आवश्यकता होती है
हमें भारत माता की आजादी के लिए
इसका अभ्यास करना होगा।

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2
यह दुर्भाग्य की बात है
हमारे घर में
कोई दूसरा हुकूमत करे।
3
समाजवाद के मार्ग पर चलकर
हम देश की खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं
गरीबी,अशिक्षा,बीमारी
इन सब का निवारण कर सकते हैं।

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4
खुद से जो युद्ध आरंभ करो
उसकी परिणिति चाहे जैसी हो
अंतिम तक पीछे मत हटो।।

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5
पराधीन रहकर राष्ट्र के विरुद्ध नौकरी करना महापाप है।।
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6
व्यर्थ की बातों में जो अपना समय व्यतीत करते हैं
वह कभी सफलता का स्वाद नहीं चल सकते।
7
मानता हूं हमारे भीतर जन्मजात प्रतिभा नहीं होती
किंतु कठोर परिश्रम करने की लगन तो अवश्य होती है।।
8
जो भारत माता को कष्ट में देखते हुए भी
उसके प्रति चिंतित नहीं रहता
वह कभी राष्ट्र सेवा नहीं कर सकता।।

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9
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

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10
मेरे देशवासी तभी खुशहाल हो सकेंगे
उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा
आदि मिल सकेगी जब हम स्वाधीन होंगे।
11
मैं कभी संकट पूर्ण समय से भयभीत नहीं होता
और ना ही पीछे हटता हूं
मेरे इस विचार के साथ
जो कार्य करना चाहते हैं
वही मेरे साथ आगे आए।।
12
मेरे भारत की आजादी के लिए
मुझे गांधी जी की विचारधारा के विपरीत
कुछ करना होगा ,एक ऐसा धमाका
जिन्हें बहरे अंग्रेज सुन सके।
13
जो सदैव दूसरों को खुश करने के लिए
बातें करते हैं
ऐसे लोग सदैव दुख का कारण बनते हैं।।
14
मैं भारत माता की आजादी के लिए
किसी भी हद तक जाने को तैयार हूं
इसके लिए चाहे कितने ही जीवन देने पड़े।
15
अन्याय को सहना उससे भी बड़ा अन्याय है।
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16
हम गांधी जी की तरह गाल आगे बढ़ाने वाले नहीं है
कोई हमारी और आंखें उठाएं
हम उन आंखों को निकालने का जज्बा रखते हैं।।
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17
छोटी-मोटी असफलता तुम्हें राष्ट्रहित के मार्ग में मिलती रहेगी
यह तुम्हें और मजबूती प्रदान करेगी।
इस अवसर को अपने हाथ से जाने मत देना
दुगनी शक्ति के साथ तब तक प्रयत्न करना
जब तक तुम्हें सफलता न मिल जाए।।
18
हमें केवल कार्य करने का अधिकार है
कर्म ही हमारा कर्तव्य है जिसे हम
पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर सकते हैं
इसका परिणाम ईश्वर के हाथ में है।
19
सूर्योदय से पूर्व घनघोर अंधेरा रहता है
इस अंधेरे से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं
यह हमें स्वयं को ढूंढने और जानने का अवसर देता है।।
20
मैं अपनी आंखों से देख सकता हूं
भारत में राष्ट्रवाद का उदय हो रहा है
यह एक ऐसी दिव्य शक्ति का
सृजन कर रही है जो अभूतपूर्व है।
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सुभाष चंद्र बोस कौन थे
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 13 फरवरी 1897 को कटक के जाने-माने वकील जानकीनाथ बोस तथा प्रभावती के घर में हुआ। उनका लालन-पालन उच्च कुलीन में हुआ। उन्हें बचपन से ही देश के प्रति चिंता थी।
वह देश की स्थिति को भलीभांति जान रहे थे। गरीब देशवासियों के लिए इलाज,शिक्षा आदि का कोई प्रबंध नहीं था। जिसके कारण उनकी दयनीय स्थिति हो रही थी। बीमारी के कारण वह आवारा पशु की भांति मृत्यु प्राप्त कर रहे थे ,इस पर उन्हें बेहद ही दुख और पीड़ा हुआ करती थी।
उन्होंने समाजवाद के मार्ग पर चलते हुए आजादी के लिए निरंतर संघर्ष किया।
कॉलेज तथा विद्यालय में उन्होंने नेतृत्व करने की क्षमता हासिल कर ली थी। धीरे-धीरे वह भारत में एक प्रसिद्ध व्यक्ति बन चुके थे। यहां तक की स्वयं गांधी जी का कद उनसे कम हो गया था। किंतु वह गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे। इसलिए गांधी जी के कहने पर उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया।
उन पर अंग्रेजों का कड़ा पहरा हमेशा से रहा ,उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया। उनके पीछे अंग्रेजी खुफिया विभाग कार्य कर रही थी। किसी प्रकार उन्होंने बच बचाकर जर्मनी की ओर रुख किया ,वहां से आजाद हिंद फौज की आधारशिला रखते हुए भारत की आजादी तक संघर्ष किया।
हालांकि उनकी मृत्यु आजादी से कुछ वर्ष पूर्व हो गई, किंतु आजादी में उनकी अहम भूमिका थी। अंग्रेज आजाद हिंद फौज तथा नेताजी से भयभीत थे जिसके कारण उन्होंने भारत छोड़ने का निर्णय लिया था।
निष्कर्ष
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जो आजादी के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। अंग्रेजों से सामना करने के लिए उन्होंने रणनीति के तहत कार्य किया।
नजरबंद रहकर भी उन्होंने अंग्रेजों के जासूसों से बचकर धनबाद ,काबुल के रास्ते जर्मनी पहुंचे और उस समय के क्रूर तानाशाह हिटलर से मित्रता कर उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया।इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य आरंभ किया।
वर्मा के रास्ते आजाद हिंद की फौज को लेते हुए नेताजी भारत की ओर बढ़ते आ रहे थे।द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेज खोखले हो गए थे,साथ ही नेता जी का भय उन्हें दिन प्रतिदिन एक अनहोनी की ओर संकेत कर रहा था। अंग्रेजों ने भारत को छोड़ना ही उचित समझा।उस समय के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने स्वीकार भी किया नेताजी से वह कितना भयभीत थे उन्हें यह भय था कि आजाद हिंद फौज से वह किस प्रकार युद्ध करेंगे। उनमें इतनी शक्ति नहीं थी कि वह नेताजी का सामना कर सके। इसलिए उन्होंने भारत छोड़ने का निर्णय लिया।
उपरोक्त पंक्तियां सुविचार,अनमोल वचन तथा स्लोगन नेताजी से संबंधित है जो उनके भाषण विचार आदि से संग्रहित किया गया है। किसी भी प्रकार के सुझाव या निर्देश के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें।